मन में अगर कुछ कर गुजरने का जूनून हो तो फिर मुश्किलें चाहे जैसी भी हो मंजिल मिल ही जाती है. कुछ ऐसा ही जज्बा पटना में रहने वाले अनुराग चंद्रा के अन्दर है. यूं तो अनुराग जन्म से विकलांग हैं लेकिन हमेशा कुछ नया और अलग करने की आग इनके अन्दर धधकती रहती है. तभी तो पैरों में निर्बलता रहने के बावजूद अब तक कई साहसिक यात्रा कर चुके हैं. अद्भुत इच्छा शक्ति के धनी अनुराग ने दिव्यांगता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया है. अपने मजबूत इरादों से ये हर रोज सफलता की नयी इबारत लिख रहे हैं.
दिव्यांगता को धत्ता बता किया कई एडवेंचर जर्नी
अनुराग चंद्रा यूं तो खिलाड़ी हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, लेकिन इन्हें साहसिक यात्राएँ करने का काफी शौक है. यहीं कारण है कि इसमें उन्होंने अपनी विकलांगता को बाधा नहीं बनने दिया. बल्कि अपनी ट्राई साइकिल से ही कई दुर्गम रास्तों को पार किया. साल 2015 में इंडिया गेट से लेह तक 1267 किलोमीटर का सफ़र करके अनुराग ने नया विश्व रिकॉर्ड बनाया. अभी तक यह रिकॉर्ड नेपाल के एक दिव्यांग खिलाड़ी के पास था, जिसने 450 किलोमीटर का सफ़र तय किया था. अनुराग ने अपनी ट्राई साइकिल से यह यात्रा सिर्फ 21 दिनों में पूरा किया.
इसी साल 2017 में अनुराग दानापुर से सियाचिन ग्लेशियर की ओर निकले और तीन हजार किलोमीटर के दुर्गम रास्तों को तय किया. जहां इन्होने सबसे ऊंची चोटी खरुन्दला टॉप को पार कर सियाचिन ग्लेशियर को भी अपने पैरों से नाप दिया. इस दौरान इन्होने आठ राज्यों का दौरा किया जिसमें चार राज्यों के मुख्यमंत्री ने इन्हें सम्मानित किया. अनुराग बताते हैं कि इस बीच रास्ते में कई समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ा, लेकिन इन्होने हिम्मत नहीं हारी और सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित रखा. अब इनका अगला मकसद माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने का है.
खेलों में भी दिखा चुके हैं अपनी प्रतिभा
खेल क्षेत्र में भी अनुराग चंद्रा एक जाना पहचाना नाम है. इन्होने एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बोलीबाल, तैराकी, सिटींग फुटबाल, योग, बॉडी डांस, शतरंज, क्रिकेट सहित कई खेलों में अपना परचम लहराया है. साल 2013 में ताईवान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग चैम्पियनशिप में शामिल हुए, वहां भारत पांचवा और इनका स्थान 12वां रहा. अनुराग ने अब तक विभिन्न खेलों में कुल 49 पदक अपने नाम किया है.