देवघर में बाबा भोलेनाथ की पूजा के बाद अब हम बाबा बासुकीनाथ धाम की ओर जा रहे थे. झारखण्ड के सबसे बड़े तीर्थस्थल बाबाधाम से 40 किलोमीटर दूर बासुकीनाथ मंदिर दुमका जिले में स्थित है. देवघर – दुमका मुख्य मार्ग पर अवस्थित इस मंदिर में शिवभक्तों की भीड़ सावन महीने में देखते बनती है. कहा जाता है कि जब तक बासुकीनाथ मंदिर में जलाभिषेक नहीं किया जाता, तब तक देवघर में की गयी पूजा अधूरी रहती है. तो हमलोग भी जरमुंडी गांव के नजदीक बने बासुकीनाथ मंदिर के दर्शन के लिए जा रहे थे.
देवघर से बासुकीनाथ जाते वक़्त बीच रास्तों की खूबसूरती भी मन को मोह रही थी. पक्की सड़क के दोनों तरफ ऊंचे – ऊंचे पेड़ों की हरियाली, और देवघर से आगे इसी हरी – भरी वादियों के बीच से गुजरते हुए दिखाई देने लगा था वो विशाल त्रिकुट पर्वत. ये झारखंड की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है. इस पहाड़ पर कई गुफाएं और झरने हैं. ऊपर जाने के लिए रोप वे की भी सुविधा है. पर अगर आपको एडवेंचर पसंद है तो पैदल ही पहाड़ पर चढ़ने का रोमांचक अनुभव भी ले सकते हैं. त्रिकुट पर्वत के ऊपर बना मंदिर और झरने से गिरता पानी भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. यहां इतने खुबसूरत नज़ारे को देख लोगों का मन यहां से जाने का नहीं करता.
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