शाम का वक़्त, तेज बहती ठंडी हवाएं, गंगा का किनारा, चारों ओर चहल पहल, गंगा आरती करने में तल्लीन पुजारी गण तो मां गंगा की आराधना में डूबे लोग, ऐसे में गंगा की लहरों पर सवारी करने का एक अलग ही आनंद होता है. यही सोच अचानक ख्याल आया कि चलो गंगा घाट चलते हैं. फिर क्या था निकल पड़े घर से सभी गांधी घाट की ओर. यूं तो वहां पहले भी कई दफा जा चुका हूं. पर फिर भी मन बार बार करता है मां के पास जाने का. आखिर करे भी क्यों न, गंगा मैया के लहरों में झूलते हुए वो बचपन जो याद आ जाता है. छुटपन में मां की गोदी सा अहसास, मां की ममता और बिलकुल वैसा ही दुलार महसूस करता हूं.

घाट पर पूजा की चौकी सजने लगी है और सीढ़ियों पर लोगों की बैठकी लगने लगी है. घाट पर लगे शिप के खुलने का समय तब तक हो चुका था. इसलिए हमलोग भी फ्लोटिंग रेस्टोरेंट यानी एम वी गंगा विहार की तरफ हो लिए. बिहार स्टेट टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (BSTDC) ने वाकई एक अच्छी शुरुआत की है गंगा नदी पर फ्लोटिंग रेस्टुरेंट चला कर.

आरती में आते हैं बड़ी संख्या में लोग

सप्ताह के दो दिन शनिवार और रविवार को यहाँ गंगा आरती के लिए बड़ी संख्या में शहरवासी जुटते है. चाहे कितना भी जरुरी काम हो लेकिन ये दो दिन उन्हें अपनी इस माँ के दर्शन करने से कोई नही रोक सकता. घर के बुजुर्गो से लेकर बच्चे सभी इस दृश्य के साक्षी बनते है और माँ गंगा की आरती में शरीक होते है. सिर्फ पटना ही नही बल्कि अन्य शहरों से भी बिहार घुमने आये श्रद्धालु यहाँ होने वाले आरती का हिस्सा बनते है. और माँ की आराधना करते है. इनमे पतितपावनी का दर्शन और उनका आशीष पाने की होड़ सी मची रहती है.

शाम में इस शिप के जरिये गंगा किनारा का मनोरम दृश्य देखते हुए आसपास के अन्य घाटों तक जाना, महात्मा गांधी सेतु के रूप में विश्व के सबसे लम्बे और एक ही नदी पर बने सड़क पुल को देखना, कभी किस्मत अच्छी रही तो डाल्फिन से मिलना, ढलते सूर्य को एकटक निहारना, एक-दूजे के साथ यादगार पल बिताना, ऐसे कई मजेदार, दिलचस्प और बेहतरीन पल दे जाता है यह शिप. बीच में कुछ खाने का मन किया तो 48 सीट वाले वातानुकूलित हॉल में बैठ कर आर्डर भी दे दिया. अंदर बैठने के बावजूद बाहर का नजारा आंखों से ओझल नहीं हुआ. एक घंटे की गंगा आरती और डेढ़ घंटे गंगा की सैर करने में बड़ा मजा आया. उस पर से फोटो सेशन.

हर पाप धो देती है गंगा आरती

हर इन्सान अपने सांसारिक जीवन में हर दिन अपने मन,वचन और कर्म से किसी न किसी रूप में किसी न किसी दोष का भागी जरुर बनता है. हमारे धर्म ग्रंथो में यह दोष पाप माने गये है. और इन पापों से बचने के लिए ही इंसान क्या कुछ नही करता. लोगो को इन पापों से छुटकारा दिलाने और पावनता से जुड़ने के लिए ही धार्मिक परम्पराओं में गंगा में स्नान और इसकी पूजा का महत्त्व काफी ज्यादा है. यह सिर्फ लोगों के पाप ही नही धोती बल्कि मोक्ष भी देती है. तभी तो इसे मोक्षदायिनी भी कहते है. कहा भी जाता है कि मृत्य शैया पर लेटे व्यक्ति के मुंह में गंगा जल की एक बूंद भी दाल देने से मुक्ति निश्चित मिल जाती है.

गंगा आरती का वाराणसी से प्रशिक्षण लेकर लौटे पटना के पुजारी सत्येंद्र मिश्रा कहते है कि माँ गंगा अपने भक्तो को मोक्ष प्रदान करती है, इनकी पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामनाएं पूरी होती है. साथ ही, इनके पूजन से हमारा, हमारे पूर्वजों का, पितरों का उद्धार भी होता है.

होता है अपनी संस्कृति से साक्षात्कार

गंगा हमारे देश की पहचान है.गंगा को हम सभी माँ कहते है, गंगा मैया के रूप में इनकी आराधना करते है.इनकी वंदना करते है.यही कारण है कि गांधी घाट में शाम की रौनक देखते बनती है. यूँ तो शहरों में युवाओं की शाम डिस्को,बियर बारों और ऊँची ऊँची माल्स के अन्दर बीतती है पर पटना के इस घाट पर इन दो दिनों में युवाओं का भी जुटान होता है. चारों ओर लोगों का हुजूम उमड़ा रहता है. बच्चे – बूढ़े सभी यहाँ के भक्ति भाव में तल्लीन नजर आते है. वहीँ भक्ति गीतों के बजने से माहौल और भी ज्यादा भक्तिमय हो जाता है ऐसे में किसी के प्रति मन में बुरे विचार आने स्वत बंद हो जाते है. गंगा आरती ना सिर्फ धर्म के प्रति लोगों में विश्वास जगाती है,बल्कि उन्हें अपने प्राचीन और व्यापक इतिहास से रु ब रु भी कराती है.

साल दर साल बढ़ रही लोकप्रियता

ऋषिकेश,हरिद्वार और काशी की तर्ज पर बिहार स्टेट टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड ने भी पटना में इसकी शुरुआत 24 फरवरी 2011 को की थी. तब से लेकर आज तक इसकी लोकप्रियता दिनोदिन बढती ही जा रही है. यहाँ हर शनि वार और रवि वार को होने वाले आरती में उमड़ते जन सैलाब को देखते हुए ही इसी साल से गायघाट से आगे भद्र घाट में भी गंगा आरती की शुरुआत की गयी. यहाँ भी सप्ताह में दो दिन गुरुवार और शुक्रवार को इस जीवनदायिनी गंगा की आरती का भव्य तरीके से आयोजन होता है. बिहार में गंगा को साफ़ और स्वच्छ रखने के लिए,लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए बक्सर, मुंगेर, भागलपुर, सुल्तानगंज के गंगा घाटों पर भी ऐसा आयोजन हो रहा है.

पटना में घुमने लायक यह एक अच्छी चीज़ है. इसी बहाने थोड़ा घूमना-फिरना भी हो गया और गंगा आरती के इस भव्य आयोजन का बिलकुल सामने से प्रत्यक्ष दर्शन भी हो गए. अब तो मैंने सोच लिया है कि बाहर से मेरे जो भी फ्रेंड्स या रिलेटिव आयेंगे, उन्हें सबसे पहले यहां घुमाऊंगा, आखिर बदलते बिहार की झलक तो उन्हें मिलेगी. और अपने शहर की इस सुन्दरता से रूबरू कराऊंगा उन्हें, जो बोलते है कि क्या रखा है तुम्हारे पटना में.

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